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धारा:- 238 अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना

(IPC) की धारा 201 को (BNS) की धारा 238 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है
काल्पनिक चित्र

भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 कि धारा:- 238

(अपराध के साक्ष्य का विलोपन, या अपराधी को प्रतिच्छादित करने के लिए मिथ्या इत्तिला देना)

जो कोई यह जानते हुए या यह विश्वास करने का कारण रखते हुए कि कोई अपराध किया गया है. उस अपराध के किए जाने के किसी साक्ष्य का विलोप इस आशय से कारित करेगा कि अपराधी को वैध दण्ड से प्रतिच्छादित करे या उस आशय से उस अपराध से सम्बन्धित. कोई ऐसी इत्तिला देगा, जिसके मिथ्या होने का उसे ज्ञान या विश्वास है. -

(क) यदि वह अपराध जिसके किए जाने का उसे ज्ञान या विश्वास है, मृत्यु से दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दायी होगा;

(ख) और यदि वह अपराध आजीवन कारावास से, या ऐसे कारावास से, जो दस वर्ष तक का हो सकेगा, दण्डनीय हो, तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने का भी दायी होगा;

(ग) और यदि वह अपराध ऐसे कारावास से उतनी अवधि के लिए दण्डनीय हो, जो दस वर्ष तक की न हो, तो वह उस अपराध के लिए उपबन्धित भांति के कारावास से उतनी अवधि के लिए, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित कारावास की दीर्घतम अवधि की एक-चौथाई तक हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।

उदाहरण:- राम यह जानते हुए कि राजू ने मोहन की हत्या की है, राजू को दण्ड से प्रतिच्छादित करने के आशय से मृत शरीर को छिपाने में राजू की सहायता करता है। राम सात वर्ष के लिए दोनों में से किसी भांति के कारावास से, और जुर्माने से भी दण्डनीय है।

अपराध का वर्गीकरण

खंड (क):- सजा:- 7 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना

अपराध:- इसके अनुसार कि ऐसा अपराध जिसकी बाबत साक्ष्य का विलोपन हुआ है संज्ञेय है या असंज्ञेय

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।


खंड (ख):- सजा:- 3 वर्ष के लिए कारावास और जुर्माना

अपराध:- असंज्ञेय

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय 

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।


खंड (ग):- सजा:- उस दीर्घतम अवधि की एक चौथाई का कारावास, जो उस अपराध के लिए उपबन्धित है, या जुर्माना, या दोनों

अपराध:- असंज्ञेय

जमानत:- जमानतीय

विचारणीय:- उस न्यायालय द्वारा विचारणीय, जिसके द्वारा अपराध विचारणीय है

अशमनीय:- अशमनीय का मतलब है, ऐसा अपराध जिसके लिए समझौता नहीं किया जा सकता हैं।


(IPC) की धारा 201 को (BNS) की धारा 238 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है

(IPC) की धारा 201 को (BNS) की धारा 238 में बदल दिया गया है। - अगर आप चाहे तो लोगो पर क्लिक करके देख सकते है


अघ्याय 2 की सारी धाराएं विचारण के पहले की (इनके प्रारूप ऊपर हेड में दिए गए है)



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